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उच्च-मध्य्वार्गीय जीवन की विसंगतिपूर्ण संवेदन का आख्यान : अंतिम अरण्य

मध्यवर्गीय जीवन के बिडम्बनाओ के अंकन की दृष्टि से निर्मल वर्मा का साहित्य विशिष्ट है। निर्मल वर्मा के अधिकांश साहित्य उच्च मध्यवर्गीय जीवन को आधार बनाकर लिखे गये हैं। आपके द्वारा रचित 'अन्तिम अरण्य' उपन्यास इस परम्परा का एक विशिष्ट उपन्यास है। यह उपन्यास संवेदना एवं शिल्प की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे रेखांकित करते हुए गोपाल राय ने लिखा है कि "निर्मल वर्मा का अन्तिम अरण्य भी संवेदना की दृष्टि से उनके अन्य उपन्यासों से भिन्न नहीं है। इसका परिवेश भी बहादुरगंज नामक कोई पहाड़ी जगह है, जिसका नाम तक नक्शे में नहीं आता। 'नरेटर के अनुसार इस जगह का नाम नक्शे में नही है, वह एक खोया हुआ शहर है, जिसमें उसने अपने को खोजा था।      एक खोये हुए शहर में स्वयं को खोजना अपने आप में एक खोज है जिसे हम मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक स्तर पर देख एवं समझ सकते है। इस उपन्यास या यह कह लें कि इस खोये हुए शहर का मुख्य पात्र मिस्टर मेहरा है। मिस्टर मेहरा एक सम्भ्रान्त बृद्ध व्यक्ति हैं, इनके अतिरिक्त मिस्टर मेहरा की पत्नी और पुत्री को लिया, एक जर्मन औरत अन्ना, निरंजन बाबू और घरों की देख

पुनर्नवा का उपन्यास शिल्प : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

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       सामाजिक विकास और इतिहास बोध का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है। हमारे समाज का विकास इतिहास के परिमार्जन के साथ होता रहता है। इस दृष्टि से जितना महत्व आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संसाधनों का है , उतना ही महत्व हमारे इतिहास का भी है। भारतीय इतिहास में बहुत-सी ऐसी ज्ञान राशि संचित है , जिन का उपयोग हम अपने वर्तमान जीवन को बेहतर बनाने में कर सकते हैं। इस दृष्टि से हमें हमारे इतिहास का ज्ञान होना चाहिए। अपने इतिहासबोध से ही हम अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं। इतिहासबोध और संचयन की दृष्टि से साहि इतिहासकारों ‌द्वारा लिखे गए इतिहास के साथ-साथ साहित्य की परम्परा का भी विशेष महत्व है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की इतिहास दृष्टि गहन और सूक्ष्म है। इतिहास और वर्तमान की सापेक्षता   उनके रचना कर्म में सर्वत विद्यमान है। द्विवेदी जी के निबन्ध हो या उपन्यास सबका आधार लगभग इतिहास ही है। लेकिन उन्होंने इतिहास या पुराण के तथ्यों को उ‌नका में नहीं प्रस्तुत किया है , जिस सन्दर्भ में वे रहे हैं। द्विवेदी जी इतिहास दृष्टि और आलोचना दृष्टि में सर्वत्र उनकी भारतीय चेतना झलकती रहती है। उनका मानवतावादी नजरिया