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आइए ना कभी: प्रीति श्रीवास्तव

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 आइए ना कभी दिसंबर की धूप बनकर  हम बैठें कुछ देर आपके साथ  कुछ बातें करें  कुछ अपनी कहें कुछ आपकी सुनें  मत करिएगा आप मुहब्बत की बातें  मत देखिएगा मुझे ऐसे जैसे तितलियां निहारतीं हैं  गुलाब के फूल को कुछ देर बतियाएंगे हम और याद करेंगे कुछ दादी नानी की कहानियां  कुछ पुरानी कहावतें  कुछ पुराने स्वाद  जो खो गए हैं कहीं  याद करेंगे कच्ची आंगन में आपका आना वो मंडियां पर बैठकर  घंटो बतियाना  आइए ना कभी कोई भूले बिसरे गीत की तरह हम गुनगुना लेंगे कुछ पल के लिए  और साथ में रखेंगे एक पुरानी सी मउनी में  कच्चे पक्के बेर  कुछ खट्टी कुछ मीठी  जैसे हमारा लड़कपन हो थोड़ा कच्चा थोड़ा पक्का सा रिश्ता  कच्ची पक्की सी मुहब्बत अपनी ना पाने की आरजू थी ना बिछड़ने का डर  बस उस पल हां उसी पल में  बड़े सुकून से जीते थे हम आइए ना फिर से आप भूली बिसरी मुहब्बत साथ लेकर  अंजुरी पर बेर लेकर  साथ बैठेंगे और गुजार लेंगे अंधेरी ठिठुरती रात भी आपके तपन से प्रेम की ऊष्मा से आइए ना। # यूं ही प्रीति 😍

प्रत्यय (Suffix)की परिभाषा

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  जो शब्दांश , शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन लाये , प्रत्यय कहलाते है। दूसरे अर्थ में-   शब्द निर्माण के लिए शब्दों के अंत में जो शब्दांश जोड़े जाते हैं , वे प्रत्यय कहलाते हैं। प्रत्यय दो शब्दों से बना है- प्रति+अय। ' प्रति ' का अर्थ ' साथ में , ' पर बाद में ' है और ' अय ' का अर्थ ' चलनेवाला ' है। अतएव , ' प्रत्यय ' का अर्थ है ' शब्दों के साथ , पर बाद में चलनेवाला या लगनेवाला। प्रत्यय उपसर्गों की तरह अविकारी शब्दांश है , जो शब्दों के बाद जोड़े जाते है। जैसे- पाठक , शक्ति , भलाई , मनुष्यता आदि। ' पठ ' और ' शक ' धातुओं से क्रमशः ' अक ' एवं ' ति ' प्रत्यय लगाने पर पठ + अक= पाठक और शक + ति= ' शक्ति ' शब्द बनते हैं। ' भलाई ' और ' मनुष्यता ' शब्द भी ' भला ' शब्द में ' आई ' तथा ' मनुष्य ' शब्द में ' ता ' प्रत्यय लगाने पर बने हैं। प्रत्यय के भेद मूलतः प्रत्यय के दो प्रकार है - (1) कृत् प्रत्यय (कृदन्त) ( Agentive) (2) तद्धित प्रत्यय ( Nomi...