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नदी के द्वीप

हिन्दी कथा साहित्य अपने आरम्भिक काल से ही व्यापक जनसरोकारों से जुड़ा रहा है। आधुनिक काल में गद्य लेखन का आरम्भ होने के साथ-साथ ही खड़ी बोली हिन्दी में कहानी एवं उपन्यास लिखा जाने लगा। परीक्षा गुरु से आरम्भ हुई हिन्दी उपन्यासों की माला को प्रेमचन्द्र ने न सिर्फ विस्तार प्रदान किया वरन आम जन की भाषा में रचना करके लोग के बीच में प्रतिष्ठित करने का भी कार्य किया। प्रेमचन्द व्यक्तित्व एवं कृतिव के सहायता के आचार्य के रूप में जाने जाते हैं। प्रेमचन्द्र ने जीवन जगत के व्यापक यथार्थ को अपनी रचनाओं में स्थान दिया। हिन्दी कथा साहित्य में जीवन जगत के बाह्य यथार्थ के अंकन मनो जगत के यथार्थ के अंकल की दृष्टि से जैनेन्द्र, अज्ञेय एवं इलाचन्द्र जोशी का योगदान विशिष्ट है। सिर्फ एक नई कथा दृष्टि दी, वदन भाषा साथ-साथ शब्दों की भांगला पर भी विशेष बल दिया। जैनेंद्र ने जिस भाषा परम्परा को आरम्भ किया, उसे अज्ञेय ने आगे बढ़ाने का कार्य किया। अज्ञेय हिन्दी साहित्य के विशिष्ट रचनाकार हैं, प्रयोगवाद के प्रवर्तन के माध्यम से जहाँ अज्ञेय ने कविता के क्षेत्र में नयी भाषा, भंगिमा और प्रयोगों पर बल दिया, वही हिन्दी