इन्सानियत :प्रीति

आज एक लम्बी कहानी छोटी करके आपके सामने लाई हूॅं।एक पुरूष हैं जो बहुत गुणी हैं(मैं नाम नही लूंगी क्योंकि किसी का भेद खोलना नही चाहती)।शहर में घर हैं उनका।शहर के बीचों बीच एक ऐसा घर जिसकी चारदिवारी पागलखाने की चारदिवारी जितनी ऊंची है। लगभग एक एकड़ का कैम्पस है।उस कैम्पस के अंदर एक घर है जो बहुत छोटा है।एक मंजिल मे चार कमरे और दूसरी मंजिल में तीन कमरे। बहुत बड़ा सा बरांडा है। बहुत पुराना सा मकान लेकिन एकदम मजबूत और पूरी तरह से मेंन्टेंड।उनके घर की उपरी मंजिल में सिर्फ किताबें हैं। तीनों कमरों में सिर्फ एक टेबल एक कुर्सी और बाकी किताबें। दुनिया जहान की किताबें।और हां बहुत सारी या यूं कहें कि अनन्त तस्वीरें।ये सारी तस्वीरें उस पुरुष ने स्वयं खींचे हैं। कुछ पेंटिंग्स भी थी कमरे में।वो सब भी इसी इंसान का बनाया हुआ है।एक बात और है कि इन्हे अपनी सारी किताबें याद हैं।किस किताब के लेखक कौन हैं और क्या लिखा है उसमें उन्हे सब याद है।लगभग हर धर्म की सारी किताबें हैं उनके घर में।कुल मिलाकर ये एक बहुत प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं। बिल्कुल अकेले हैं। ध्यान अध्यात्म में भी परांगत हैं।एक महिला प्रशसंक हैं उनकी। लेखिका और नाट्य कर्मी हैं ।एक दिन किसी वो महिला किसी वजह से इस महानुभाव के घर गई।उनका घर,उनकी किताबें और उनका टैलेंट देखकर हतप्रभ रह गई।वो जितना जानती थी इन्हे, उससे कहीं ज्यादा प्रतिभाशाली थे।ये महिला आश्चर्य से भरी थीं।इतना प्रभावित थीं कि बोल पड़ी - अगर मेरे उपर परिवार की जिम्मेवारी ना होती तो मैं आपके घर नौकरानी बनकर रह जाती। मैं संसार की सारी सुविधाएं छोड़कर इन किताबों के साथ रह लेती।और जो कुछ मैं समझ नही पाती आप समझा देते।इस पर ये महानुभाव जो बोले वो बात स्तब्ध करने वाली थी। उन्होंने क्या कहा वो सुनिए। उन्होंने कहा कि अगर आप बदसुरत और गूंगी होतीं तब ही मैं आपको यहां नौकरी पर रखता।ये बात उस महिला को इतनी बुरी लगी कि वो बिना एक मिनट रुके वहां से बाहर आ गईं।वो महानुभाव आवाज देते रहे पर वो पीछे मुड़कर भी ना देखीं।सुन्न थीं वो।इतना बड़ा विद्वान इंसान और एक महिला के रूप और आवाज से विचलित होने का भय? बहुत अपमानित महसूस किया उन्होंने।वर्षों बीत गए ये महिला कभी उस पुरुष से ना बात की ना मिलीं।ये महानुभाव मिलना चाहते हैं पर महिला नही मिलना चाहती।अब उनके आदर्श महापुरुष के प्रति उनका सम्मान खत्म हो चुका है। शायद उस पुरुष का अंतिम समय हो अब ये जानते हुए भी वो लेखिका उनसे मिलने नही जाना चाहती।
बस इतना ही।अंत क्या होगा पता नही।
एक औरत देह के इतर भी कुछ होती है ये शायद ही कुछ लोग समझ पाते हैं।
प्रीति


Comments

  1. बहुत शुक्रिया।🙏🙏😄

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