प्रेम दानव : प्रीति श्रीवास्तव

 तूने देखा एक 

चहकती फुदकती चिड़ीया

तुम उसे देख मगन हो गए

देखते ही रहे उसे

फिर उससे प्रेम कर बैठे

एक दिन उसे पुकार कर कहा तूने

सुन ये सुन्दर चिड़िया

मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूॅं

बार बार कहते रहे उससे

बस एक ही बात

मैं तुमसे प्रेम करता हूॅं

एक दिन वो मान गई तुम्हारी बात

कि तुम उससे प्रेम करते हो

तुम ले आए उसे

अपने घर प्रेम से

फिर बंद कर दिया उसे

एक पिंजरे में

तुम्हारा पिंजरा छोटा था

वो उड़ ना सकी उसमें

तूने उसके पर कतर दिए

अब वो उड़ती नही

बस चहकती रहती थी

तुम उब गए उसके चहकने से

फिर तूने उसके जीभ काटे

अब भी वो निहारती रहती तुम्हे

दिन रात अपलक

क्योंकि वो मानती थी अब भी

कि तुम उससे प्रेम करते हो

उसने दिए दो अंडे

उसमें से निकले दो बच्चे

वो चिड़िया के जैसे नही दिखे

तुम उनसे चिढ़ गए

चीखने चिल्लाने लगे

और खोल दिया चिड़िया का पिंजरा

अब भी उड़ी नहीं वो 

क्योंकि वो मानती थी

कि तुम उससे प्रेम करते हो

मौत सी आई एक बिल्ली

मार गई चिड़िया को 

उड़ गए दोनो बच्चे 

जो तुम्हारे जैसे दिखते थे

क्योंकि तुम चिड़िया से प्रेम करते थे।

(प्रेम दानव)



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