मातृभाषा
मातृभाषा में हम कुछ भी समझ और आत्मविश्लेषण कर सकते हैं। जिन देशों ने अपनी मूल भाषा को प्राथमिकता और महत्व दिया है, उन्होंने अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर विकास किया है। मातृभाषा हमें अपने विचारों, विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता देती है और अंततः मनोवैज्ञानिक विकास की ओर ले जाती है। जिस प्रकार बच्चे के विकास के लिए मां का दूध महत्वपूर्ण होता है, उसी प्रकार हमारी मानसिक संज्ञानात्मक क्षमताओं के विकास के लिए मातृभाषा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। आजकल लोग भाषाओं को लेकर कई तरह की आशंकाएं रखते हैं। कुछ हद तक वे भेदभाव का आधार बन गए हैं लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि भारत के अधिकांश नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने अपनी शिक्षा अपनी मातृभाषा या मूल भाषा में प्राप्त की। अब समय आ गया है कि हम अपनी जड़ों की ओर लौटें, अपनी भाषा के महत्व को समझें क्योंकि अंततः वे ही हमें खुद को अभिव्यक्त करके उड़ने और ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख देती हैं और हमें इस विस्तृत दुनिया में पहचान दिलाती हैं।
बेहतरीन सटिक लेख, मातृभाषा का दर्ज़ा सदैव ऊपर ही रहेगा
ReplyDeleteआत्मा आभार
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