एहसासों में जिन्दा हो
वो सर्दियों की बरिश
चाय की चुस्कियां
तेरे नर्म हाथों की
आलू के पराठे,
और गर्मियों की लू
वो रिक्शे की सवारी
वो तेरी जुल्फों का लहराकर
मेरे मन को बहकाना
वो तेरी खुशबू का
मेरे सांसों में उतरना ।
याद है मुझे अब भी ,
वो आखिरी बार मिलना
चाय से शुरू हुई मोहब्बत का
स्वीटकार्न सूप पर खत्म होना।
ना जाने कितनी याद होंगी तुम्हें-
उन लम्हों बातें और बहुत सी बातें।
वो एक कहानी -
जो अधूरी खत्म हो कर भी
एहसासों जिन्दा है।
Such beautiful creation
ReplyDeleteThanks
DeleteImmotion is live spritual beauty
ReplyDeleteThanks
Deleteबहुत सुंदर कविता
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