बैना :अरूणिमा सिंह

बैना!

बायना यानी विवाह के बाद वधू पक्ष की तरफ से आई मिठाई को सबको उपहार स्वरूप बांटना।
हमारी तरफ विवाह में बतासा, खाझा, बालूशाही, लड्डू, ढूंढी मुख्य मिठाई होती है।
  विवाह के दूसरे दिन गृहस्वामिनी बहु के घर से आए एक सुन्दर से डलवा में मिठाई और एक साड़ी रखकर ऊपर से क्रोशिए के बने सुंदर से थालपोश से ढंक कर पूरे गांव में मिठाई बंटवाती हैं।
 जितनी महिलाएं दुल्हन की मुंह दिखाई करने आती हैं उनको भी बायना दिया जाता है।
 विवाह में आए रिश्तेदार जब घर वापस जाने लगते हैं तब उनको लईया और मिठाई का बायना देकर विदा किया जाता है।
  सारी मिठाई एक तरफ और बायना की मिठाई खाने का आनन्द एक तरफ होता है।
 जब घर में बहु आती है तब घर के लड़के लड़कियों का सबसे ज्यादा ध्यान मिठाई के डिब्बे खोलने पर रहता है क्योंकि गत्ते पर, गत्ते के अन्दर खुब शायरी और दुल्हन के भाई, बहन, बुआ, समधी, समधन के लिए गाली लिखी होती थी। ढूंढी बनाते समय उसके अंदर सिक्के, छोटे आलू, शायरी लिखकर पर्ची डाल दिया जाता था।
  सारे लोग उन शायरियो और मजाक में लिखी गालियों को पढ़ पढ़ कर हंसते थे। घर में खुब हंसी मजाक का आंनद मय माहौल बना रहता था।
    
(अरूणिमा सिंह) 

Comments

Popular posts from this blog

मूट कोर्ट अर्थ एवं महत्व

विधि पाठ्यक्रम में विधिक भाषा हिन्दी की आवश्यकता और महत्व

कोसी का घटवार: प्रेम और पीड़ा का संत्रास सुनील नायक, शोधार्थी, काजी नजरूल विश्वविद्यालय आसनसोल, पश्चिम बंगाल