आओ लौट चलें: प्रीति श्रीवास्तव
एक दिन ऐसा आएगा
जब सारे कॉंकरीट के जंगल
काट दिए जाएंगे
एक दिन ऐसे शहरों से
हवा पानी खत्म हो जाएगा
प्रकृति के सारे कातिल
औक्सिजन पानी के बिना तड़पने लगेंगे
और भाग जाएंगे
कॉंकरीट का जंगल छोड़कर
ढह जाएंगे फिर सारे बहुमंजिली इमारतें
फिर आएगी हरियाली धीरे धीरे दबे पांव
जैसे आया था इंसान धीरे से
और फिर उग आएंगे बड़,पिपल,सेमर
और बढ़कर हो जाएंगे घने वृक्ष
फिर बनेंगे शहर हरे भरे जंगल
और लौट आएंगे सारे वन्य जीव
तब इंसान फिर दुबक कर रहेगा
किसी छोटे से गांव में
प्रकृति के छांव में
एक दिन जंगल फिर आएगा
अपना जमीन आसमान वापस मांगने
नही तो लूट लेगा सब कुछ
मानव का गला दबाकर
एक दिन जंगल जरूर आएगा।
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