आभासी कक्षा(Virtual Class)
आभासी कक्षा (Virtual Class) वर्तमान समय में हमारा समाज एवं हम एक नये तरह की दुनिया में जीवन जीने के लिए विवश है। सन् 2019 तक हमने यह सोचा भी नहीं था कि हम इतनी जल्दी एक आभासी जगत में प्रवेश कर जायेंगे। कोविड 19 ने दुनिया मंे भीषण तबाही मचायी और हमें घरों में रहने के लिए विवश कर दिया। इसका सर्वाधिक प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था एवं शिक्षा व्यवस्था पर पड़ा। इस प्रभाव के परिणाम स्वरूप हमारी शिक्षा में आनलाइन माध्यम में शिक्षण आरम्भ हुआ। आनलाइन शिक्षण एवं आभासी कक्षाओं में भारतीय शिक्षण व्यवस्था में एक ऐसा नवाचार है जिसे प्र्रचलन में आने में अभी समय था लेकिन कोविड़ 19 के प्रभाव के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में एक नयी क्रान्ति देखने को मिलती है।
आभासी क्लासेज के माध्यम से शिक्षण काम का प्रसार जिस तेजी से हो रहा है, उससे हिन्दी का विकास तो हो रहा है, इसके अलावा हिन्दी के क्षेत्र में लिखने पढ़ने वालों को ज्यादा अवसर प्राप्त हो रहा है। इन अवसरों के साथ-साथ वर्चुअल दुनिया के माध्यम से हम कमाई कर सकते हैं यू-ट्यूब, जूम, गूगलमीट और माइक्रोसाफ्ट टीम्स, फेसबुक, इस्टाग्राम आदि अनेकों आभासी पटल ऐसे हैं जिन पर हम अपनी बातों को लोगों तक आसानी से पहुँचा सकते हैं और लोग भी हमसे संवाद स्थापित कर सकते हैं।
इन आभासी कक्षाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनके द्वारा हम नयी तकनीक से जुड़कर अपनी कक्षाओं को रोचक एवं रुचिकर बना सकते हैं। आडियो विजुअल के उपकरणों का प्रयोग कर अपनी शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाकर अपनी बातों से बच्चों की रुचि पैदा करने में समर्थ होंगे। ई-शिक्षण का प्रसार वर्तमान समय में शिक्षण का बहुत ही महत्वपूर्ण अवयव है। सीमित संसाधनों में प्रभावी शिक्षण के लिए आभासी कक्षाएॅं बेहद उपयोगी हैं और इनकी सार्थकता एवं उपयोगिता विगत दो वर्षों में तेजी से बढ़ी है।
जूम, गूगलमीट और माइक्रोसाफ्ट टीम्स द्वारा हम अत्यंत प्र्रभावी ढंग से शिक्षण कार्य कर सकते हैं। इन सभी साफ्टवेयर में विद्यार्थियों एवं अध्यापकों दोनों की सहुलियत का विशेष ध्यान रखा गया है। विद्यार्थी अनावश्यक रूप से क्लास को बाधित न कर पायें, इसके लिए अध्यापक सभी विद्यार्थीयों को अटेन्डी बना सकता है, जिससे शिक्षण के समय में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। इसके साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए हैण्ड रेज Hand raise करने या चैट बाक्स के माध्यम से अपनी बातों को रखने की सुविधा उपलब्ध होती है। वर्चुअल क्लास में पी.पी.टी. को माध्यम से शिक्षण कार्य करने की सुविधा भी होती है। आज हिन्दी में हम बहुत आसानी से पी.पी.टी. बना सकते हैं और वह पी.पी.टी. किसी भी सिस्टम लैपटाप, मोबाइल या कम्प्यूटर किसी पर उपयोग में लाया जा सकता है। पहले हिन्दी भाषा में टंकण का एक विशेष फॉण्ट प्रचलित था, लेकिन हिन्दी और कम्प्यूटर के क्षेत्र में ही हो रहे नित नयी शोधों के परिणामस्वरूप यूनिकोड/मंगल के अवष्किार ने इस समस्या को लगभग समाप्त कर दिया है। अब हिन्दी से संबधित किसी भी विषयवस्तु को बड़ी ही आसानी के साथ हम कहीं भी देख सुन या पढ़ सकते हैं।
आभासी कक्षाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो कुछ कक्षाओं में संवाद स्थापित कर रहे हैं उसे रिकार्ड कर सकते हैं। क्लास की रिकार्डिंग को हम अपने विद्यार्थियों के साथ शेयर कर सकते हैं या उसका उपयोग हम व्यक्तिगत रूप से भी कर सकते हैं। अपनी कक्षाओं की रिकार्डिंग सुनकर हम यह भी जान एवं समझ सकते है कि अध्यापन कार्य करते समय हमसे कौन से तथ्य अछूते रह गये या हमने पढ़ाते समय क्या-क्या त्रुटियॉं की हैं। आत्मनिरीक्षण में भी ये रिकार्डिंग अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं। अपनी क्लास की रिकार्डिंग सुनकर या देखकर हम अपनी शिक्षण शैली को और भी बेहतर बना सकते हैं। आभासी क्लास भावी जीवन जगत् की अत्यन्त महत्वपूर्ण आवश्यकता है जिसके बिना हम भावी शिक्षा व्यवस्था की परिकल्पना ही नहीं कर सकते।
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