आचार्य शुक्ल के निबंध
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी के थे महारथी अनुपम लेखक
उनकी रचनाएं अनुवादित संपादित और मौलिक
वह ग्राम अगौना चंद्रबली के पुत्ररत्न,
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के इतिहास आलोचक, निबंधकार, इतिहासकार एवं संपादक के रूप में जाने जाते हैं। रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य को बहु विद समृद्ध किया। हिंदी साहित्य का इतिहास आपके द्वारा रचित सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं प्रमाण इतिहास ग्रंथ माना जाता है, अपने हिंदी साहित्य के इतिहास के माध्यम से आपने हिंदी साहित्य का व्यवस्थित इतिहास प्रस्तुत किया इतिहास को इतिवृतात्मकता से ऊपर उठा कर आलोचनात्मक दृष्टि से इतिहास को प्रस्तुत किया। इतिहास लेखन के साथ-साथ आप की आलोचनात्मक कृतियां और आप के निबंध संग्रह हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। आप की प्रमुख कृतियां हैं हिंदी साहित्य का इतिहास विश्व प्रपंच, चिंतामणि के दो भाग , भ्रमरगीत सार की भूमिका, जायसी ग्रंथावली की भूमिका और त्रिवेणी। इन कृतियों के माध्यम से आपने ना सिर्फ हिंदी साहित्य को संबोधित किया वरन साहित्य को एक दिशा भी दिया ।आपकी विचारात्मक निबंध हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है।
भाव एवम मनोविकार संबंधी आपके निबंध मानव मन की विविध पत्तों को खोलने और समझने वाले हैं। आपके निबंधों के माध्यम से हम ना सिर्फ मानव मन की अंतर्दशा को समझ सकते हैं वरन अपने हृदयस्थ भावों को भी अच्छे से जान एवं समझ सकते हैं। भाव एवं मनोविकार संबंधी आपकी प्रमोद निबंध है -श्रद्धा भक्ति, उत्साह , करूण, मित्रता, लोभ और प्रीती इत्यादि।
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