सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता
सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता ने समाज को एक नई दिशा की ओर ले जाने का कार्य किया है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से कोई भी अपनी बात समाज के समक्ष रख सकने में सक्षम है ऐसे में हमारे समक्ष झूठ भी प्रस्तुत हो रहा है और सच भी यह हमारे विवेक पर निर्भर है कि हम सच की पड़ताल करें और उसे जाने और माने। वैसे भी सोशल मीडिया ने अफवाहों को नागरिक जीवन में घोल कर रख दिया है, और ऐसे समय में हमें और भी सजग होने की जरूरत है क्योंकि सच को जानना आज के समय में मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जा रहा है। झूठ और फरेब का प्रसार तेजी से हो रहा है और कहीं ना कहीं लोग उसे सच मानते जा रहे हैं। मीडिया ने हमारी राजनीतिक व्यवस्था को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है। आज के समय में अधिकांश चुनाव प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे वर्ष भर चलते रहते हैं और वह लोग राजनीति में ज्यादा सफल होते जा रहे हैं जो सोशल मीडिया को बेहतर ढंग से प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे समय में तटस्थ और निरपेक्ष विचारों का वातायन खड़ा करना बहुत ही मुश्किल और कठिन हो गया है।
राजनीति को नई दिशा देने में सोशल मीडिया का विशेष योगदान है इस वर्चुअल जगत में वास्तविक जगत को स्थानापन्न कर दिया है और हम वर्चुअल जगत में वास्तविकता से बहुत दूर होकर अपने कार्य व्यापार कर रहे हैं। से कहीं ना कहीं इससे कहीं ना कहीं हमारा सामाजिक ढांचा प्रभावित हो रहा है जातिवाद धार्मिक विद्वेष कहीं ना कहीं बढ़ रहा है इसके पीछे सोशल मीडिया की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता , यह वह सत्य है जिसे हमें स्वीकारना ही होगा। अगर हम निरपेक्ष भाव से अपने समाज अपनी संस्कृति और अपने व्यवहार गत आचरण का अवलोकन करें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि हम किस ओर बढ़ रहे हैं।
देश की 76% आबादी प्रतिदिन सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही है, ऐसे में क्या हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि बिना सोशल मीडिया के प्रभाव के हम कुछ भी कहने और सुनने की स्थिति में हैं, सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया है सोशल मीडिया के माध्यम से ही हमारे विचारों व्यवहारों का निर्माण हो रहा है चाहे वह हमें कुछ खरीदना हो या कहीं कुछ बोलना हो हम सोशल मीडिया का ही सहारा लेते हैं। सोशल मीडिया ने हमारे लोकतंत्र को व्यापक स्तर तक प्रभावित किया है। नागरिक पत्रकारिता जैसे आविष्कार ने हर व्यक्ति को पत्रकार बना दिया है और वह अपनी समझ के अनुसार चीजों को अपने अनुसार समझता है। ऐसे में जब चारों ओर मीडिया हीमीडिया हो तो हम ऐसे समय में किसी भी तथ्य को सही सही नहीं समझ सकते हैं और इस सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर अपने विचारों एवं उद्गार ओं को अभिव्यक्त करते हैं।
मीडिया का यह रूप निश्चय ही सर्व सुलभ है लेकिन इससे बहुत सी भ्रांतियां उत्पन्न हो रही हैं ऐसे समय में हमें सजग होने की जरूरत है और समाज सापेक्ष तटस्थ विचार निर्मित करने के लिए एक तटस्थ मीडिया की आवश्यकता है। निस्संदेह आज के समय में चीजें सर्व सुलभ है और सर्व सुलभ होने के कारण कहीं ना कहीं मूल तथ्य गायब होते जा रहे हैं, हमारी वैचारिकी व्यापक स्तर पर प्रभावित हुई है। सोशल मीडिया की वही स्थिति है कि हम चिल्ला चिल्ला कर या बार-बार कह कर अपने झूठ को भी सत्य साबित करते हुए झूठ का एक ऐसा वातावरण तैयार कर रहे हैं जिसमें लोगों की सत्य को परखने की समझ कम होती जा रही है। सोशल मीडिया का सबसे बड़ा नुकसान यह है की इसके द्वारा हम किसी भी बात को बिना जाने समझे नासिर प्रचारित कर सकते हैं वरण उसे लोगों तक बार-बार पहुंचा कर सत्य भी बना देते हैं।
एकदम यथार्थ है गुरूजी सोसलमिडिया से पूरा सामाजिक तंत्र घिरा हुआ है।
ReplyDelete