उत्तर आधुनिकता क्या है ?



उत्तर आधुनिकता आधुनिकता की तरह पाश्चत्य चिन्तन परम्परा की देन है ,जैसे - जैसे हमारे सामाजिक जीवन में परिवर्तन होते हैं, वैसे- वैसे हमारा चिन्तन भी बदलता जाता है. आज का हमारा जीवन बाजार पर आधारित हो चला है .

उत्तर आधुनिकता उन्हीं में से एक अत्यंत जटिल प्रत्यय है। समाधी दर्शन के रूप में उसका कोई निश्चित निर्मित नहीं हो पाया है। कुछ लोगों द्वारा मार्क्सवादी दर्शन(हालैटिक्स) द्विधम सामाजिक परिवर्तनों राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संक्रमणों आदि के रूप में देखा जा रहा है। कभी-कभी उसे आधुनिकतावाद कारण अथवा विकिरण भी समझ गया है बौद्धिक मौका जे इसे एक जटिल अवधारणा विचार बना दिया है। उत्तर आधुनिकतावादी दृष्टि आधुनिकतावादी धारणा के गर्भ से उत्पन्न क्रमण है। अतः आवश्यक है कि इस प्रत्यय को स्पांकित करने से पूर्व पश्चिम के वैचारिक परिदृश्य को दृष्टिपथ में रखा जाए और इस क्षेत्र को विधारणाओं को समुद्र कर कुछ पर पहुँचा जाये .

उत्तर आधुनिकता उन्हीं में से एक अत्यंत जटिल प्रत्यय है। समाधी दर्शन के रूप में उसका कोई निश्चित निर्मित नहीं हो पाया है। कुछ लोगों द्वारा मार्क्सवादी दर्शन(हालैटिक्स) द्विधम सामाजिक परिवर्तनों राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संक्रमणों आदि के रूप में देखा जा रहा है। कभी-कभी उसे आधुनिकतावाद कारण अथवा विकिरण भी समझ गया है बौद्धिक मौका जे इसे एक जटिल अवधारणा विचार बना दिया है। उत्तर आधुनिकतावादी दृष्टि आधुनिकतावादी धारणा के गर्भ से उत्पन्न क्रमण है। अतः आवश्यक है कि इस प्रत्यय को स्पांकित करने से पूर्व पश्चिम के वैचारिक परिदृश्य को दृष्टिपथ में रखा जाए और इस क्षेत्र को विधारणाओं को समुद्र कर कुछ पर पहुँचा जाये .'आधुनिकता' यूरोप में औद्योगिकीकरण, उपनिवेश और बाजारी व्यवस्था की विज्ञान के विकास सेवा कतिपय धार्मिक विश्वासों को अ और विज्ञान द्वारा प्रदत मानवीय सुख सुविधाओं को स्वीकृतिवाद और संस्कृति के विकार में का हाथ रहा है। पश्चिम को इस आधुनिक को विकासशील देशों (भारत भी) ने स्वीकारा आधुनिकता और विज्ञान के अतिशय विकास ने कुछ अमानवीय को जन्य दिया जैसे मानव कृन्तक (Hamal clone) परखनली शिशु (Tew-iube baby, आदि। परिणामस्वरूप स्थापित मूल्य मान्यता और धार्मिक चितना प्रभावित हुई। प्रकृति का न केवल दोहन शुरू हुआ वरन प्रकृति पर विजय प्राप्त करने का अभियान देकार्त जैसे विचारकों की प्रेरणा से प्रारम्भ हो गया। मनुष्य का स्वयंभू महामानव और 'स्वयंज्ञानी' प्रमाणित करने के उपक्रम हुए कार्य ने मनुष्य को मुक्ति प्रकृति के स्वामित्व में खोजो इस तरह बुर्जुआ वर्ग आधुनिकता और ज्ञानोदय को निरंतर वकालत की। आधुनिकता के इस अतिशय से अमी के दशक में पश्चिमी समाज में वितृष्णा और नकार के भाव पनपने लगे। बोलेर आधुनिकता और ज्ञानोदय को प्रश्नांकित करने वाले प्रारम्भिक मनोषी माने जाते हैं। आधुनिकता और आधुनिकतावाद की सभ्यता विषयको होने लगी और उत्तर आधुनिक सोच का विकास हुआ जिसमें आधुनिकता के उत्तरवर्ती स्वरूप के प्रति नकार का भाव जन्मा इसलिए उत्तर आधुनिकता आधुनिकता की कोख से जन्मा वह परखनली शिशु है जो पुनः गर्भस्थ होकर अपनी मां को ही काट रहा है। इस अर्थ में ही उत्तर आधुनिकता आधुनिकता तथा उत्तर आधुनिकतावाद आधुनिकतावादका चरम और निषेध है। भारत में पाश्चात्य अवधारणाओं और सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव लगभग सौ वर्ष के अंतराल से महसूस किया जाता रहा है।

यही बात आधुनिकता के संबंध में सही है .आज आधुनिकता की प्रचंड आत्मघाती शक्ति उत्तर आधुनिकता के रूप में आत्मविस्फोटक हो गई है। आधुनिकता का जो विकास पिछले साढ़े तीन सौ वर्षों में हुआ उत्तर आधुनिकता उसी चरम का प्रतिफल और 'निगेशन' है किन्तु यह प्रत्यय (उत्तर आधुनिकता) निरंतर गतिशील है . इसका कोई केन्द्रवर्ती रूप अभी नहीं बना है ,अं भी नहीं सकता क्योंकि यह एक प्रकार की विकेन्द्रीकरण की सतत प्रक्रिया है . जो लोग उत्तर आधुनिकता और उत्तर मार्क्सवाद को पयार्यवाची विचारधरा मानते हैं , कदाचित  वे मार्क्स और हीगेल की द्वन्दवादी प्रणाली से  अनुप्रभावित हैं , जिसमें वाद की अत्तार आधुनिकता केन्द्रवादी विधाराणा नहीं वरन हार केन्द्रवाद के विकेन्द्रीयकरण की प्रक्रिया है .

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