Hindu Dharma ( A way of living) हिन्दू धर्म : एक जीवन पद्धति
(Hindutva is way of living more than a religion)
भारतीय चिन्तन परम्परा अत्यंत प्राचीन और आध्यात्मिक जीवन दृष्टि से सम्पन्न एक जीवन पद्धति है, जिसमें समय- समय पर परिवर्धन एवं मार्जन होता रहा है. आज के प्राकृतिक विज्ञान के तर्क कसौटी हमारी बहुत सी आध्यात्मिक परम्परा को पूर्णतः वैज्ञानिक स्वीकार किया गया है. आज वैश्विक स्तर पर अपने- अपने धर्म को लेकर लोगों में मान्यताएँ प्रगाढ़ होती जा रहीं हैं, ऐसे समय में हिन्दू धर्म और भारतीय जीवन दृष्टि की मान्यता और विश्वास पर बात करेंगे.
सबसे पहले हम बात करेंगे भारत में प्रचलित अभिवादन पद्धति का - हमारे यहाँ जब लोग मिलते हैं तो प्रणाम, नमस्कार, नमस्ते, राम- राम, राधे - राधे आदि जैसै शब्दों से अभिनंदन करते हैं. ध्वनि के विश्लेषण के क्रम में इन शब्दों का अध्ययन करें तो यह स्पष्ट होता है कि ये ध्वनि हमारे आस- पास सकारात्मक ऊर्जा की सृष्टि करते हैं . "मेरे भीतर की रोशनी, आपके अन्दर की रोशनी का सत्कार करती है - नमस्ते".(My inner light welcomes your inner light - Namste. )
It is the power of words.
हिन्दू अपने आप में अनेक जीवन पद्धतियों का समुच्चय है. हिन्दू धर्म में कोई एक अकेले सिद्धान्तों का समूह नहीं है, जिसे सभी हिन्दूओं को मानना जरुरी है. यह तो धर्म से ज्यादा बेहतर जीवन जीने का मार्ग है. यहाँ कोई केन्द्रीय संगठन नही है. इसके अन्तर्गत अनेक मत और सम्प्रदाय आते हैं और सभी को बराबर श्रद्धा दी जाती है.
हिन्दू धर्म के धर्म सिद्धांत कुछ बिन्दु इस प्रकार हैं -
- ईश्वर एक नाम अनेक.
- ब्रह्म या परमतत्व सर्वव्यापी है.
- ईश्वर से प्रेरणा लें .
- हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग नरक से ऊपर है.
- परोपकार पुण्य है, दूसरों को कष्ट देना पाप है.
- जीव मात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है.
- हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है.
- आत्मा अजर अमर है -
नैनं छिद्रन्ति शास्त्राणि, नैनं दहति पावक: .
न चैने क्लेदयं- त्यागो न शोषयति मारुत: .
हमारी परम्परा में यह भी मान्यता है कि जब जब समाज में धर्म की हानि होती है तब परमात्मा जीव रुप पैदा होकर धर्म की स्थापना करते हैं. गीता में कहा गया है -
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:
अभ्यूत्थानं धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्.
परित्राणाय साधुनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्म संस्थापनार्थय सम्भवामि युगे- युगे.
हमारी जीवन पद्धति में गाय, गंगा, गीता, पीपल, बरगद, नीम, तुलसी और सूर्य की उपासना का प्रावधान है, ये प्राकृतिक अवयव हमारे स्वस्थ्य जीवन के लिए कितने आवयश्क और अनिवार्य हैं यह सब जानते हैं.
स्त्रैण, हिंदू जीवन पद्धति है जो सर्व समभाव युक्त सर्वमंगलकारी है बहुआयामी है।
ReplyDeleteजय श्रीराम 🙏🏻
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