भाषा का सामान्य परिचय(General Introduction to Language)
भाषा का सामान्य परिचय-(General Introduction to Language)- मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह मिलनसार प्रवृत्ति का प्राणी है और एक दूसरे से आसानी से घुलमिल जाता है। वह भाषा के माध्यम से अपनी भावनाओं, अनुभूतियों एवं विचारों का एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान करता है। ऐसा कर मनुष्य एक दूसरे के साथ सम्बन्ध निर्मित करते हैं और इस तरह समाज के वास्तविक रूप का निर्माण होता है। भाषा मानव सम्बन्धों का अनुबन्ध बनाकर विधिक मुद्दे उत्पन्न करती है। इस तरह भाषा विधि का माध्यम बन जाती है।
वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा विश्व में विशिष्ट दर्जा रखती है। 23 देशों में अंग्रेजी बहुमत की प्रथम भाषा बन गयी हैं। 50 देशों में उनकी देशज (Indigeneous) प्रथम भाषा के साथ शासकीय अथवा संयुक्त शासकीय भाषा का स्थान ग्रहण कर चुकी है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क का माध्यम होने के कारण अंग्रेजी का वैश्विक (Global) महत्व हो गया है। अंग्रेजी भाषा की सरलता एवं तरलता ने इसे विश्व-व्यापी होने में विशेष योगदान दिया।
भाषा का प्रारम्भ, विकास एवं विस्तार- भाषा की उत्पत्ति के सन्दर्भ में कई मत हैं-
भाषा की उत्पत्ति के सम्बन्ध में पहला मत दैवी उत्पत्ति से सम्बन्धित है। बाइबिल अथवा हिन्दू धर्म ग्रन्थों में यह माना गया है कि भाषा ईश्वरीय कृति हैं। बाइबिल के अनुसार गॉड ने ऐडम और अन्य जीवित प्राणियों की रचना कर नाम प्रदान किया। हिन्दू पुराणों में ईश्वर की संकल्पना नाद-ब्रह्म ध्वनि प्रकटीकरण तथा शब्द-ब्रह्म प्रकटीकरण हेतु किया हैं बालक पैदा होने पर स्वतः ईश्वर प्रदत्त भाषा में अपने भावों को प्रकट करने लगता हैं
कुछ विद्वानों का मत है कि भाषा प्राकृतिक जीवों के उड़ने की या बोलने की ध्वनियों को दोहराने से उत्पन्न होती है। जैसेः- काव-काव (caw-caw), कू-कू (coo-coo), पानी की छलछलाहट (splash), गर्जन (Boom) आदि ने भाषा को जन्म दिया।
भाषा की उत्पत्ति के सम्बन्ध में दूसरा मत है कि मनुष्य के विभिन्न अंगो जैसे- दाँत, होठ, मुँख, कंठ (Larynx), नाक-गला नली (Pharynx) आदि ने शब्द-पेटी अथवा वाक्-जीवा (Vocal-chord) के माध्यम से एक तरफ ‘फ’ या ‘व’ (‘F’ or ‘V’) और दूसरी तरफ ‘प’ या ‘ब’ (‘P’ or ‘B’) सरीखा स्वर उत्पन्न किया।
तीसरा मत यह है कि मानव मस्तिष्क और आनुवांशिक (Gentic) स्रोत भी शब्द निर्माण में योगदान देते हैं और तदनुसार भाषा विकसित होती है।
भाषा का अर्थ (Meaning of Language):- भाषा ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था है। भाषा शब्द का निर्माण संस्कृत की ‘भाष’ धातु से हुआ है। इसका अर्थ है- ‘वाणी की अभिव्यक्ति’। मनुष्य की व्यक्त वाणी ही भाषा है। भाषा के माध्यम से मनुष्य के भाव तथा विचार व्यक्त होते हैं। इसी प्रकार भाषा के माध्यम से व्यक्त भावों एवं विचारों को भी ग्रहण किया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि भाषा सामाजिक मनुष्यों के बीच भावों तथा विचारों के पारस्परिक आदान-प्रदान का एक सार्थक माध्यम है।
भाषा की परिभाषा (Definitation of Language):- भाषा की परिभाषा विभिन्न विद्वानोें द्वारा इस प्रकार है-
1. भाषा सीमित और व्यक्त ध्वनियों का नाम है, जिन्हें हम अभिव्यक्ति के लिए संगठित करते हैं। (क्रोचे)
2. भाषा मनुष्यों के बीच संचार-व्यवहार के माध्यम के रूप में एक प्रतीक व्यवस्था है। (वेन्द्रे)
3. भाषा का उच्चारण अवयवों से उच्चरित प्रायः यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी भाषा समुदाय के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
भाषा की विशेषताएँ:- भाषा की विशेषताएँ निम्नलिखित है-
1. भाषा का श्रव्य-प्रतीको के साथ उच्चारण होता हैं।
2. भाषा समाज के अन्य सदस्यों के साथ सम्पर्क का माध्यम है।
3. भाषा सामाजिक परस्पर व्यवहार एवं संव्यवहारों का माध्यम है।
4. भाषा की प्रकृति स्वेच्छाचारी होती हैं।
5. भाषा का विकास व्यवस्थित ढंग से होता है।
6. भाषा सामाजिक व्यवहार एवं सांस्कृतिक पहचान का एक प्रारूप है।
7. भाषा सृजनशील एवं ज्ञान का वाहक है।
8. भाषा समाज क विकास तथा वक्ता की सुविधा के साथ बदलती है और अन्य सांस्कृतिक भाषायी समूह के साथ पारस्परिक क्रिया का व्यवहार से सम्पन्न होती हैं।
विधि के लिये भाषा का महत्व-
1. भाषा एक ऐसी इकाई है, जिसका सम्बन्ध व्यक्ति से लेकर समाज तक है, संसार का एक साधारण व्यक्ति जो एक कोने में पड़ा है, किसी भाषा का प्रयोग करता है और एक विश्व-विख्यात व्यक्ति भी एक विशेष भाषा का प्रयोग करता हैं।
2. भाषा ज्ञानार्जन, अभिव्यक्ति एवं संसूचना का सशक्त माध्यम हैं। संविधान निर्माताओं ने भाषा के विकास एवं व्यवहार पर
विशेष ध्यान दिया। संविधान के भाग 17 में राजकाज की भाषा का विस्तृत वर्णन किया गया हैं। न्यायालयों ने भाषा या संसूचना के माध्यम का तात्पर्य सहज रूप में समझने योग्य सुपरिचित भाषा से लिया हैं।
शोधपरख
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteधनवाद sir
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