क्रियात्मक शोध : भाषा शिक्षण में निदानात्मक परीक्षण

    शोध से संबन्धित विविध पक्षों पर विचार इस वीडियो में आपको देखने को मिलेगा| क्रियात्मक शोध (Action Research) भी शोध की एक विशिष्ट प्रणाली है.|जिसमें शोध की परिकल्पना चिकित्सा करने के विविध पक्षों को दृष्टिगत रखते हुए शोधकर्ताओं द्वारा शोध किया जाता है| निदान और चिकित्सा शोध का एक विशेष औजार है | निदान और चिकित्सा ,शिक्षण प्रणाली का अभिन्न अंग रही है | यह प्रक्रिया तो शिक्षण जितनी पुरानी और व्यावहारिक है |कक्षा में सभी छात्रों की सीखने क्षमता एक समान नहीं होती ,सबकी ग्रहण करने की क्षमता अलग -अलग होती है | इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षक को अपनी शिक्षण प्रक्रिया  में निदानात्मक शोध प्रणाली द्वारा सभी विद्यार्थियों को सम्यक रूप से शिक्षा देना चाहिए |
    निदानात्मक परीक्षण एवं चिकित्सकीय शिक्षण - निदानात्मक और चिकित्सकीय शिक्षण आधुनिक शिक्षण प्रक्रिया में बहुत ही प्रभावी हो चला है | स्कूल चाहे ग्रामीण हो या शहरी ,प्राथमिक हो या माध्यमिक ,उसका प्रशासन सरकार के हाथों में या निजी संस्थाओं के, उसमें पढ़ने वाले सभी छात्रों के लिए यह शिक्षण प्रणाली बेहद कारगर है |
    बच्चों की अपनी-अपनी सीमाएं होतीं हैं ,एक शिक्षक को इन सीमाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्य योजना तैयार करनी चाहिए | एक शिक्षक को शिक्षण करते हुए बच्चों से सम्बंधित  निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए -
1. बच्चे की पारिवारिक पृष्ठभूमि |
2. बच्चे की मानसिक स्थिति |
3. बच्चे  की सीखने की क्षमता का पता लगाना |
4. सभी बच्चे किन बातों में समान प्रतिक्रिया देते हैं |
5. सीखने में सामान्य से कम बुद्धि वाले बच्चों की पहचान |
6. तीव्र बुद्धि वाले बच्चे वाले बच्चों से सहयोग लेना |
7. आपसी समझ विकसित करने की कोशिश |
8. बच्चों की सामान्य समस्याओं पर विचार कर उनके निदान की दिशा में प्रयास करना |
9. सभी बच्चों को एक समय में एक साथ लेकर विविध गतिविधियों में शामिल करना ,जैसे -
    नृत्य ,गीत, खेल ,कला, क्राफ्ट व अन्य सृजनात्मक आयोजन |
     इस तरह के शोध द्वारा हमें सभी बच्चों की समझ की वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा ,उसी के अनुसार हम कार्य-योजना एवं पाठ्य-योजना का निर्माण कर बच्चों को सीखने के प्रेरित कर सकेंगे | इस प्रक्रिया में हमें बच्चे की गतिविधि पर ध्यान रखते हुए उसके द्वारा अर्जित ज्ञान का भी निरंतर परीक्षण और मूल्यांकन करते रहना चाहिए ,जिससे हमें उसकी वास्तविक स्थिति का पता चल सके |


www.youtu.be/TySoLTR6xJw

Comments

Popular posts from this blog

सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला": काव्यगत विशेषताएं

मूट कोर्ट अर्थ एवं महत्व

विधि पाठ्यक्रम में विधिक भाषा हिन्दी की आवश्यकता और महत्व