व्यापर नहीं है : प्रेम
किसी के द्वारा किए गये व्यवहार से प्रभावित नहीं होना चाहिए । प्रत्येक व्यक्ति का अपना गुण-धर्म होता है ।मेरे साथ कोई कैसा भी व्यवहार करे, यह उसका आचरण है । उससे प्रभावित ना होना और अपने निजी व्यक्तित्व को बनाए रखना जीवन की पूँजी है ।हमारी कोशिश है कि हम अपनी निजता बनाये रखें । समय का बदलना और व्यवहार भी पूर्णतः बदल जाना आज समय का युगीन सच है ।मेरी अपनी यह चेष्टा है कि अपनी निजता और मनुष्यता को बनाये रखूँ । किसी से कोई उम्मीद नहीं , कोई लगाव नहीं । कोई प्रतिदान की अपेक्षा नहीं । प्रेम के बदले ,प्रेम पाने की आकांक्षा व्यापार है ,जो मुझे कतई समझ नहीं आती । किसी के प्रति मानवीय व्यवहार के उससे अपेक्षा रखना नितान्त अनुचित है । यह सहज मानवीय आचरण नहीं । सहजता और सह्दयता का कोई मोल -तोल हो ही नहीं सकता ।
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