वसुंधरा की कविता

डा. वसुंधरा उपाध्याय हिन्दी साहित्य में रुचि रखने वाली सहज स्वभाव की बहुत ही सौम्य एवं भावपूर्ण रचनाकार हैं. आपकी कविताओं में अनुभूति की गहनता और अभिव्यक्ति की मुखरता देखने को मिलती है. आपके परिचय के साथ प्रस्तुत है आपकी संवेदना से पूरित कविता..... ! 


यह रातें अब नही कटती हैं

आँखों में रात गुजरती है

मैं उसको कैसे याद करूँ 

महफ़िल भी तन्हा होती है।।

जब जब याद करूँ  तुमको

यह पलक भीग ही जाती हैं

में कैसे दर्द छिपाऊँ सबसे

आंखें भी रोती रहती हैं।।

महफ़िल में गजलें रोती हैं

कविता की सांसें रुकती हैं

रातें भी तन्हा हो गयीं हैं

सांसे भी अबतो घुटती हैं।।

यह दर्द भी उम्दा होता है

आँखों में सदा यह पलता है

जो इन राहों से गुजरा है

उसकी किस्मत भी एसी है।

यह दर्द  मिठास दे जाता है।

जाने के बाद फिर खलता है।

फिर बादल बनकर आंखों से

यह झर झर झरता है।।

जब प्यार हमें हो जाता है

हर पल रूमानी होता है

मिलने की आतुरता में 

यह समय बीतता जाता है।।

@वसुधा

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