कानूनी विलेखों का प्रारूप
कानूनी विलेखों का प्रारूप
1. इच्छा-पत्र (Will Deed)
हम कि .....................पुत्र...............निवासी.................का हूँ।
चूँकि मैं वृद्ध हो चुका हूँ तथा मेरा स्वास्थ्य खराब चल रहा है। क्या पता कब देहावसान हो जाय। मेरी विभिन्न स्वअर्जित संपत्तियों के उत्तराधिकार को लेकर मेरे उत्तराधिकारियों के बीच विवाद उत्पन्न होने की संभावना है। अतएव मैनें उचित समझा कि मैं अपनी संपत्तियों की वसीयत निम्नवत कर दूँ।
अतः यह विलेख साक्षी है कि-
1. यह कि जब तक मैं जीवित रहूँगा, अपनी समस्त संपत्तियों का स्वामी एवं अध्यासी रहूँगा।
2. यह कि मेरी मृत्यु के बाद मकान संख्या................स्थित मुहल्ला............शहर.....पूर्ण स्वामी मेरा
ज्येष्ठ पुत्र..............होगा।
3. यह कि मेरी मृत्यु के उपरान्त मेरे भूखण्ड आराजी संख्या.................रकबा..... .......स्थित ग्राम
................तहसील..............जिला.....................का स्वामी मेरा कनिष्ठ पुत्र...........होगा।
4. यह कि ................बैंक में स्थित मेरे समस्त बैंक खातों का अवशेष मेरी मृत्यु के उपरांत मेरी पत्नी
श्रीमती...............को प्राप्त होगा।
5. यह कि चूँकि मेरी पुत्री श्रीमती...............अपने ससुराल में अपने पति के साथ प्रसन्नतापूर्वक निवास
कर रही है और मेरी मृत्यु के उपरान्त उसे मेरी कोई संपत्ति प्राप्त नहीं होगी।
6. यह कि यदि मेरे किसी वारिस के सम्बन्ध में यह इच्छा पत्र विफल होता है तो उस स्थिति में उस अंश
की संपत्ति मेरे समस्त उत्तराधिकारियों में समान अंश में बँटेगी।
7. यह कि इस प्रकार इच्छा पत्र हेतु मैं अपने मित्र/अपने अधिवक्ता श्री..............को इस इच्छा पत्र का
निष्पादक नियुक्त करता हूँ जो मेरी मृत्यु के उपरांत संपत्तियों को उपरोक्त ढंग से वितरित करायेेंगे।
अतएव स्वच्छ मस्तिष्क एवं प्रसन्नतापूर्वक बिना किसी बाह्य दबाव के मैं यह वसीयत निष्पादित कर अपना हस्ताक्षर साक्षियों के समक्ष बनाता हूँ कि वक्त पर काम आवे। यदि कोई अन्य व्यक्ति इस वसीयत के विरुद्ध कोई अन्य वसीयत मेरी संपत्तियों के सम्बन्ध में मेरे द्वारा निष्पादित प्रदर्शित करते हुए प्रस्तुत करेगा तो वह अवैध व प्रभावशून्य होगी क्योंकि यह मेरी अंतिम वसीयत है।
हस्ताक्षर
साक्षीः दिनांक................
1. .....................
2. ....................
2. विक्रय-विलेख (Sale Deed)
हम कि .....................पुत्र...............निवासी ग्राम/ मुहल्ला................. तप्पा.................. परगना............. तहसील...........पोस्ट............जिला..........का हूँ जिसे एतद्पश्चात् विक्रेता कहा गया है।
विदित हो कि विक्रेता मुहल्ला/ग्राम ..............पोस्ट.............तहसील..............जिला.......स्थित आराजी संख्या...........क्षेत्रफल............का अध्यासी भूमिधर है। मकान संख्या..........का अध्यासी स्वामी है जिसे एतद्पश्चात् प्रश्नगत संपत्ति कहा गया है जिसे विक्रय करने का विक्रेता को हर प्रकार से अधिकार प्राप्त है तथा प्रश्नगत संपत्ति हर प्रकार के भार या प्रभार से मुक्त है।
तथा
विक्रेता के समक्ष वर्तमान में पुत्री विवाह/मरम्मत मकान/ रोग उपचार/घरेलू आवश्यकताओं की समस्या उत्पन्न है जिसे निवारण करने के लिए विक्रेता के पास प्रश्नगत संपत्ति के विक्रय के अतिरिक्त अन्य विकल्प एवं उपचार उपलब्ध नहीं है इसलिए विक्रेता ने प्रश्नगत संपत्ति के पूर्ण अंश का विक्रय करने की घोषणा किया जिस पर क्रय करने के इच्छुक विभिन्न व्यक्ति आये परन्तु श्री..........पुत्र...........निवासी ग्राम/मुहल्ला..........पोस्ट........ तहसील...........जिला.........जिन्हें एतद्पश्चात् क्रेता कहा गया है, प्रश्नगत संपत्ति के विक्रय योग्य अंश का सर्वाधिक उचित मूल्य रु0.............देने को तैयार हैं।
अस्तु
विक्रेता क्रेता से विक्रयाधीन संपत्ति जिसे अति-विशिष्ट रूप से इस विलेख के अन्त में वर्णित किया गया है जो विक्रय प्रतिफल रू0...............(जिसका आधा अंश रू0......होता है) (रूपया शब्दों में..............) क्रेता से प्राप्त कर विक्रय करता है तथा विक्रय की गई संपत्ति पर क्रेता को अध्यासन प्रदान करता है। विक्रय प्रतिफल क्रेता से विक्रेता ने पूर्व में प्राप्त कर लिया/उप निबन्धक महोदय के समक्ष प्राप्त कर रहा है तथा यह विक्रय विलेख क्रेता के पक्ष में निष्पादित करता है। क्रेता को अधिकार दिया गया है कि वह इस प्रकार क्रय किये गये संपत्ति (भूखण्ड/मकान) का अपनी इच्छानुसार उपभोग व उपयोग करें। यदि किन्हीं कारण क्रेता को क्रय किये गये संपत्ति पर अपनी इच्छा के उपयोग में कोई हस्तक्षेप व व्यवधान उत्पन्न होता है तो क्रेता को अधिकार होगा कि वह प्रदत्त विक्रय प्रतिफल पर दो/एक प्रतिशत मासिक ब्याज की दर सहित सम्पूर्ण प्रतिफल को विक्रेता से अथवा विक्रेता की अन्य संपत्ति से वसूल सकेगा। विक्रेता विक्रय की गई संपत्ति से स्वयं को तथा अपने बाद अपने उत्तराधिकारी (यों) या प्रतिनिधियों को हर प्रकार के स्वत्व या अधिकार से विरत करता है।
जिसके साक्ष्य में विक्रेता ने आज स्वस्थ मस्तिष्क व प्रसन्नतापूर्वक दिनांक.............माह............सन्.....को इस विलेख पर अपना हस्ताक्षर कर दिया।
विक्रय की गई संपत्ति का विवरण
भूखण्ड क्षेत्रफल.............अन्दर आराजी सं0...............कुल रकबा......मकान संख्या...........स्थित ग्राम/मुहल्ला............टप्पा............परगना.........तहसील.........पोस्ट........जिला........जिसकी चौहद्दी निम्नलिखित है-
पूरब- उत्तर-
पश्चिम- दक्षिण-
हस्ताक्षर लेखक व दिनांक- (हस्ताक्षर विक्रेता)
दिनांक-
गवाह 1-
गवाह 2-
3. बन्धक-विलेख (Mortgage Deed)
हमकि .....................पुत्र...............निवासी ग्राम/मुहल्ला.................पोस्ट.................. तहसील........... जिला..........का हूँ (जिसे एतद्पश्चात् प्रथम पक्ष/बन्धककर्ता कहा गया है।)
तथा
श्री.........पुत्र.........निवासी मुहल्ला/ग्राम ..............पोस्ट.............तहसील..............जिला....... (जिसे एतद्पश्चात् द्वितीय पक्ष/बन्धककारी कहा गया है।) के है।
विदित हो कि प्रथम पक्ष मकान (जिसे एतद्पश्चात्् ‘‘बंधक संपत्ति’’ कहा गया है) जिसे विशिष्ट रूप से इस विलेख के अंत में वर्णित किया गया है, का संक्रमणीय अधिकारयुक्त पूर्ण अध्यासी स्वामी है और ‘‘बन्धक संपत्ति’’ हर प्रकार के भार एवं प्रभार से युक्त है। प्रथम पक्ष के समक्ष अपनी पुत्री के विवाह/दवा/ इलाज/घरेलू जरूरत की समस्यायें उत्पन्न हैं जिसका निवारण बिना कर्ज लिये संभव नहीं है और द्वितीय पक्ष प्रथम पक्ष को आवश्यक कर्ज इस शर्त पर देने लिए तैयार है कि बन्धनकर्ता अपनी ‘‘बन्धक संपत्ति’’ का सादा बधंक कर्त की अदायगी की सुरक्षा के लिए कर देवे जिसके लिए प्रथम पक्ष प्रसन्नतापूर्वक स्वस्थ मस्तिष्क से तैयार है।
अतएव
उभयपक्षों के बीच सादा बन्धक का यह विलेख आज दिनांक..............माह..............वर्ष .............. को बमुकाम..............शहर..............निष्पादित हुआ और यह विलेख इस बात का साक्षी है कि-
1. बन्धकारी ने आज रु0..............(शब्दों में............................) 18ः वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर बन्धनकर्ता को कर्ज के रूप में दिया है, जिसे बन्धनकर्ता समक्ष उप-निबंधक प्राप्त करना स्वीकार किया है।
2. यह कि बधंनकर्ता ने ‘‘बन्धक संपत्ति’’ का सादा बन्धक बन्धकधारी के पक्ष में किया है।
3. यह कि बन्धनकर्ता द्वितीय पक्ष/बन्धनकारी से लिये गये कर्ज का ब्याज सहित आज की तिथि के ........ वर्ष के अन्दर बन्धनकारी को कर देगा।
4. यह कि कर्ज की अदायबी होने तक बन्धकर्ता को अपनी ‘‘बंधक संपत्ति’’ के उपयोग एवं उपभोेग का अधिकार होगा इस अवधि के दौरान वह अपनी ‘‘बंधक संपत्ति’’ का अंतहरण तृतीय पक्ष को नहीं करेगा।
5. यह कि यदि किन्हीं कारणों से बन्धकर्ता निर्धारित .........वर्ष की अवधि के अन्दर प्रश्नगत कजे। की बन्धनकर्ता के विरुद्ध न्यायालय से अपने पक्ष में डिग्र्री प्राप्त कर कर्जे की रकम ब्याज सहित मय खर्चा मुकदमा व खर्चा कानूनी कार्रवाई ‘‘बन्धक संपत्ति’’ की नीलामी कराकर वसूल करा लेवे और बन्धनकर्ता पर उक्त समस्त व्यय वहन करने का दायित्व होगा।
6. यह कि कर्जे की अदायगी की उक्त अवधि के दौरान बन्धनकर्ता अपनी ‘‘बंधक संपत्ति’’ का पूर्ण रख-रखाव करेगा और किसी प्रकार से कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे उक्त संपत्ति के मूल्य में हृास हो।
7. यह कि बनधकर्ता ‘‘बन्धक संपत्ति’’ पर लगने वाले इस अवधि के दौरान समस्त सरकारी/नगर निगम के करों का भुगतान करता रहेगा।
जिसके साक्ष्य में उभयपक्षों ने अपने हस्ताक्षर प्रसन्नतापूर्वक स्वस्थ मस्तिष्क के समक्ष साक्षी किये और साक्षियों ने भी अपने हस्ताक्षर उभयपक्षों के समक्ष किये।
बन्धक संपत्ति का विवरण
मकान संख्या.................स्थित ग्राम/मु0 ................पोस्ट............शहर.........जिला.......जिसकी चौहद्दी अधोवर्णित है-
पूरबः पश्चिमः
उत्तरः दक्षिणः
हस्ताक्षर
गवाह नं0 1..................... बन्धनकर्ता..........
गवाह नं0 2..................... बन्धनकारी...........
4. पट्टा-विलेख (Lease Deed)
हमकि .....................पुत्र...............निवासी ग्राम/मुहल्ला.................पोस्ट.................. तहसील........... जिला..........का हूँ (जिसे एतद्पश्चात् प्रथम पक्ष/पट्टाकर्ता कहा गया है।)
तथा
श्री.........पुत्र.........निवासी मुहल्ला/ग्राम ..............पोस्ट.............तहसील..............जिला....... (जिसे एतद्पश्चात् द्वितीय पक्ष/पट्टाधारी कहा गया है।) के है।
विदित हो कि प्रथम पक्ष मकान/भूखण्ड जिसे विशिष्ट रूप से इस विलेख के अंत में वर्णित किया गया है, का संक्रमणीय अधिकारयुक्त पूर्ण अध्यासी स्वामी है एवं द्वितीय पक्ष को अपने आवास/व्यवसाय के लिए एक भवन/भूखण्ड की आवश्यकता है जिसके कारण द्वितीय पक्ष ने यह आग्रह किया कि उसकी आवश्यकताओं के लिए प्रथम पक्ष अपनी संपत्ति को इस विलेख के अंत में वर्णित है, उचित शर्तो पर द्वितीय पक्ष को दे देवें जिस पर प्रथम पक्ष तैयार हो गये।
यह पट्टा विलेख इस बातका साक्षी है कि प्रथम पक्ष ने द्वितीय पक्ष को इस विलेख के अंत में वर्णित अपनी संपत्ति को निम्न शर्तो पर पट्टे/किराये पर उभयपक्षों की सहमति के आधार पर दिया है-
पट्टे/किरायेदारी की शर्ते
1. यह कि प्रथम पक्ष भवन/भूखण्ड जो इस विलेख के अंत में वर्णित है, को मासिक किराये पर द्वितीय पक्ष को आज तिथि.....................से देता है।
2. यह कि द्वितीय पक्ष की उक्त किरायेदारी मासिक है जो हर अंग्रेजी माह की पहली तारीख को प्रारंभ होकर उस माह की अन्तिम तारीख को समाप्त हो जायेगी।
3. यह कि किरायेदारी के अधीन संपत्ति का मासिक किराया रु0...............प्रतिमाह है जिसे द्वितीय पक्ष प्रथम पक्ष को हर माह के प्रथम सप्ताह में अवश्य अदा करेगा और उसकी रसीद प्राप्त करेगा।
4. यह कि मासिक किराये की अदायगी में कोई विफलता द्वितीय पक्ष नहीं करेगा। परन्तु यदि किन्हीं कारणों से उक्त मासिक किराये की अदायगी 4 माह तक नहीं हो पाती है तो उस स्थिति में प्रथम पक्ष को यह अधिकार होगा कि वह द्वितीय पक्ष से किरायेदारी के अधीन दिये गये भवन/भूखण्ड को खाली करा लेवें।
5. यह कि द्वितीय पक्ष को किरायेदारी के अंतर्गत लिये गये भवन/भूखण्ड को अपनी इच्छानुसार प्रयोग करने का अधिकार होगा परन्तु ऐसा करते समय वह भवन/भूखण्ड के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं करेगा।
6. यह कि द्वितीय पक्ष किराये के अंतर्गत ली गई संपत्ति में कोई उप-किरायेदार स्थापित नहीं करेगा और उसका कब्जा किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं करेगा।
7. यह कि किरायाधीन संपत्ति पर लगने वाले सरकारी/नगर निगम के करों की अदायगी द्वितीय पक्ष प्रथम पक्ष को करेगा।
8. यह कि भवन/भूखण्ड जिसे द्वितीय पक्ष किराये पर प्राप्त किया है, के रख-रखाव पर होने वाले समस्त व्यय का उत्तरदायित्व द्वितीय पक्ष पर होगा।
9. यह कि यह किरायेदारी/पट्टा आज की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए है परन्तु यदि द्वितीय पक्ष एवं प्रथम पक्ष इस अवधि को आपसी सहमति से आगे बढ़ाना चाहते हों तो उसे आपसी सहमति से तय नई शर्तो पर ही बढ़ाया जा सकेगा।
जिसके साक्ष्य में उभयपक्षों ने इस विलेख पर आज दिनांक............माह............वर्ष......में साक्षियों के समक्ष प्रान्नतापूर्वक बिना किसी दबाव के हस्ताक्षर किया।
विवरण भवन/भूखण्ड जिसे प्रथम पक्ष ने द्वितीय पक्ष को किराये/पट्टे पर दिया है-
भवन/भूखण्ड संख्या ............स्थित ग्राम/मु0............पोस्ट........जिला...............जिसकी चौहद्दी निम्नवत है-
पूरबः
पश्चिमः
उत्तरः
दक्षिणः
हस्ताक्षर
(प्रथम पक्ष)
हस्ताक्षर
(द्वितीय पक्ष)
गवाह नं0 1.....................
गवाह नं0 2.....................
5. भागीदारी-विलेख (Partnership Deed)
साझेदारी का यह विलेख आज दिनांक...........माह.............सन्.............को श्री...............पुत्र श्री...........निवासी ग्राम........पो0..............जिला.......जिसे एतद्पश्चात् ‘‘प्रथम पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्र.........निवासी ग्राम/मुहल्ला..............पोस्ट.............तहसील..............जिला......जिसे एतद्पश्चात् ‘‘द्वितीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्र.........निवासी ग्राम/मुहल्ला..............पोस्ट.............तहसील..............जिला...... जिसे एतद्पश्चात् ‘‘तृतीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है, के मध्य निष्पादित किया गया है।
जबकि ‘‘प्रथम पक्ष’’, ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं ‘‘तृतीय पक्ष’’ साझेदारी में...............जिसे एतद्पश्चात् ‘‘फर्म’’ शब्द से सम्बोधित किया गया है, के नाम एवं पुकार से व्यवसाय करने को इच्छुक हैं।
एवं
जबकि भविष्य के किसी संदेह, विवाद एवं द्विविधा को दूर करने के उद्देश्य से साझेदारी की शर्तो व उपबन्धों को शब्दों में अंकित किया जाना उचित समझा गया।
अतएव यह अभिलेख साक्षी है कि-
1. यह कि साझेदारी व्यवसाय........जिसे एतद्पश्चात् ‘‘फर्म’’ शब्द से सम्बोधित किया गया है, के व्यवसाय नाम व पुकार से चलाया जाएगा।
2. यह कि ‘‘फर्म’’ का साझेदारी व्यवसाय कपड़े की व्यवसाय/ठेका/उत्पादन और पक्षकारों द्वारा समय-समय पर निश्चित किए गए इस प्रकार के अन्य व्यवसाय को चलाने का होगा।
3. यह कि ‘‘फर्म’’ का व्यवसाय स्थान.................पर चलाया जाएगा। ‘‘फर्म’’ व्यवसाय पक्षकारों द्वारा समय-समय पर निश्चित किए गए अन्य स्थानों पर भी चला सकेगा जो भविष्य में अन्य पक्षों के साथ आगे साझेदारी में भी हो सकेगा।
4. यह कि प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पक्ष ‘‘फर्म’’ के लिए पूँजी एवं आस्तियों के लिये निम्न प्रकार से योगदान करेंगे-
क. प्रथम पक्ष- 40 प्रतिशत
ख. द्वितीय पक्ष - 30 प्रतिशत
ग. तृतीय पक्ष - 30 प्रतिशत
5. यह कि ‘‘फर्म’’ के व्यवसाय चलाने के लिए आवश्यक पूँजी एवं वित्त की व्यवस्था साझीदारों द्वारा की जाएगी। परन्तु ‘‘फर्म’’ बैंक अथवा वित्तीय संस्थानों से अथवा अन्य व्यक्तियों से तय ब्याज दर पर साख-सुविधाओं के एवं ऋण लेकर वित्त की व्यवस्था करने के लिए भी अधिकारी होंगे।
6. यह कि ‘‘फर्म’’ के तीनों पक्षों का लाभ या हानि के सम्बन्ध में निम्नवत् अंश होगा-
क. प्रथम पक्ष- 40 प्रतिशत
ख. द्वितीय पक्ष - 30 प्रतिशत
ग. तृतीय पक्ष - 30 प्रतिशत
7. यह कि पक्षकार ‘‘फर्म’’ के साझेदारी से एक माह पूर्व नोटिस देकर रिटायर हो सकेगा और उस दशा में उसका अंश नगद या समान के रूप में रिटायामेन्ट की तिथि से 30 दिनों के अन्दर वापस दिया जाएगा।
8. यह कि प्रथम पक्ष ‘‘फर्म’’ का प्रबन्धकर्ता साझेदार होगा और वह 4000रू0 प्रतिमाह के स्टाईपैन्ड के माध्यम से पारिश्रमिक पाने का अधिकारी होगा, वह ‘‘फर्म’’ के बैंकरों और डीलरों से अपने अकेले नाम व हस्ताक्षरों से संव्यवहार करने का अधिकारी होगा जो ‘‘फर्म’’ पर बाध्यकारी होगा।
9. यह कि ‘‘फर्म’’ के किसी पक्ष के मृत्यु हो जाने पर ‘‘फर्म’’ विघटित नहीं होगी और उक्त पक्ष का नामित उŸाराधिकारी उसके स्थान पर ‘‘फर्म’’ में प्रतिस्थापित होगा तथा उसकी अंश पूँजी उसके नाम पर अन्तरित कर दी जाएगी।
10. यह कि ‘‘फर्म’’ का बैंक खाता ‘‘फर्म’’ के लिए ‘‘प्रथम पक्ष’’ द्वारा अपने हस्ताक्षर व मोहर से खोला जा सकेगा तथा बैंक खाते के संव्यवहार उसके द्वारा अपने अकेले ‘‘फर्म’’ की ओर से किया जा सकेगा।
11. यह कि यह साझेदारी ऐच्छिक है।
12. यह कि प्रावधान जो इस विलेख में विशिष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं है वे भारतीय भागीदारी अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित होेंगे।
जिसके साक्ष्य में पक्षकारों ने उपस्थित साक्षीगण के समक्ष स्वच्छ मस्तिष्क के हस्ताक्षर किए-
1. साक्षी संख्या -1 1. प्रथम पक्ष
2. साक्षी संख्या - 2 2. द्वितीय पक्ष
3. तृतीय पक्ष
6. मुख्तारनामा (Power Of Attorney)
विदित हो कि अधोहस्ताक्षरी आयु लगभग..............वर्ष पुत्र................निवासी..........है। एतद्प्श्चात् ‘‘प्रथम पक्ष’’ शब्द से सम्बोधित किया गया है। चूँकि ‘‘प्रथम पक्ष’’ ठेकेदार/रोजगार के व्यवसाय में कार्यरम है और उसे अक्सर लम्बे समय तक बाहर रुकना पड़ता है। ‘‘प्रथम पक्ष’’ के लिये यह अक्सर कठिन और असुविधजनक कार्य होता है कि वह उचित व्यक्ति को अपने लिये विभिन्न स्थानों पर स्थित ‘‘प्रथम पक्ष’’ के बैंकरों, डीलरों से व्यवसाय अथवा निस्तारण करने हेतु नियुक्त कर सकें। जहाँ ‘‘प्रथम पक्ष’’ अक्सर सही समय पर पहुँच पाने में अक्षम हो जाता है।
एवं
जबकि श्री.........पुत्रश्री.........निवासी एतद्पश्चात् ‘‘द्वितीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित ‘‘प्रथम पक्ष’’ के लिये जिम्मेदार और विश्वसनीय है और उपर वर्णित कार्यो और दायित्वों को ‘‘प्रथम पक्ष’’ हेतु प्रथम पक्ष की ओर से करने को तैयार हैं। प्रथम पक्ष इस विलेख द्वारा द्वितीय पक्ष के हक में एक सामान्य मुख्तारनाम उन्हें निम्न वर्णित अधिकारों को प्रदान करते हुये निष्पादित करता है।
1. यह कि इस मुख्तारनामा के धारक द्वितीय पक्ष को ‘‘प्रथम पक्ष’’ के व्यवसाय से सम्बन्धित किसी व्यक्ति के समक्ष ‘‘प्रथम पक्ष’’ के लिये ‘‘प्रथम पक्ष’’ की ओर से प्रतिनिधित्व एवं कार्य करने का अधिकार होगा।
2. यह कि ‘‘द्वितीय पक्ष’’ को किसी न्यायालय का अधिकरण को या प्राधिकारी के समक्ष बिना प्रथम पक्ष की सम्मति लिये अपने स्वयं के नाम व हस्ताक्षर से ‘‘प्रथम पक्ष’’ को देय ऋणों/दावों/देयताओं की वसूली हेतु प्रक्रिया संस्थापित करने एवं वाद लाने का अधिकार होगा।
3. यह कि ‘‘द्वितीय पक्ष’’ को ‘‘प्रथम पक्ष’’ के लिए अपने स्वयं के मोहर व हस्ताक्षर से कोई अधिवक्ता नियुक्त या अनुबन्धित करने का हकदार होगा।
4. यह कि देयताओं अथवा ताम्यायें जिन्हें द्वितीय पक्ष प्रथम के हित के प्रतिकूल समझता है उसके लिए उत्तरदायी नही माना जायेगा।
5. यह कि प्रथम पक्ष के व्यवसाय के लिये संपत्ति अथवा आस्तियों को अधिग्रहण अथवा निःस्तारण करने का द्वितीय पक्ष को अधिकार होगा।
6. यह कि इस मुख्तारनामें के अधीन प्राप्त अधिकारों के अन्तर्गत द्वितीय पक्ष को प्रथम पक्ष के लिये प्रथम पक्ष की ओर से बैंको अथवा वित्तीय संस्थाओं अथवा बाजार के कर्जे के लिये धनराशि अपने स्वयं के नाम एवं प्रकार से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
7. यह कि किसी न्यायालय अथवा अधिकरण अथवा प्राधिकारी के समक्ष किसी वाद अथवा कार्यवाही में प्रथम पक्ष के व्यवसाय के लिए द्वितीय पक्ष अपने अकेले मोहर व हस्ताक्षर से किसी अन्य पक्ष के साथ समझौता/करार करने का अधिकारी होगा जो ‘‘प्रथम पक्ष’’ पर बाध्यकारी होगा।
8. यह कि यह मुख्तारनामा बिना पूर्व सामान्य सूचना के प्रतिसंहरित नही किया जायेगा तथा उस मुख्तारनामें के द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अधीन द्वितीय पक्ष द्वारा किये गये कार्य प्रत्येक प्रकार से प्रथम पक्ष पर बाध्यकारी होंगे।
जिसके साक्ष्य स्वरूप ‘‘प्रथम पक्ष’’ निम्नवत् स्वच्छ मस्तिष्क और स्वतंत्र सम्मति से उपस्थित साक्षीगणके समक्ष दिनांक.....................माह........................सन हस्ताक्षर करता है।
साक्षी गण हस्ताक्षर
1. .......... प्रथम पक्ष
2. ........... द्वितीय पक्ष
7. दान-विलेख (Gift Deed)
दान की यह विलेख आज दिनांक...........माह........सन्.............को श्री...........पुत्र श्री..... निवासी ग्राम.............पोस्ट............जिला.....जिसे एतद्पश्चात् ‘‘दाता’’ शब्द से संबोधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री.........निवासी ग्राम............पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘आदाता’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है, के मध्य निष्पादित किया जाता है।
विदित हो कि संपत्ति जिसे विशिष्ट रूप से इस विलेख के अन्त में वर्णित किया गया है, ‘‘दाता’’ के पूर्ण अध्यासी स्वामित्व की संपत्ति है जिसे अन्तरण का ‘‘दाता’’, को अधिकार प्राप्त है। अदाता से दाता का स्वाभाविक प्रेम और स्नेह है जिसके कारण ‘‘दाता’’, ‘‘आदाता’’ को उक्त संपत्ति दान करना चाहता है और ‘‘आदाता’’ ‘‘दाता’’ से उक्त संपत्ति दान में स्वीकार करने को तैयार है। उक्त संपत्ति हर प्रकार के भार एवं प्रभार से मुक्त है एवं संपत्ति का बाजारी मू0 रू0 50,000 है।
अतएव यह विलेख साक्षी है कि-
1. यह कि स्वाभाविक प्रेम व स्नेह, के प्रतिफल स्वरूप ‘‘दाता’’, ‘‘आदाता’’ को अधोवर्णित संपत्ति का दान करता है एवं इस अनुक्रम में संपत्ति का स्वामित्व एवं अध्यासन ‘‘दाता’’, ‘‘आदाता’’ को सदैव के लिए अंतरित/अन्यसंक्रमित करता है।
2. यह कि ‘‘आदाता’’ अधोवर्णित संपत्ति का ‘‘दाता’’ से दान स्वीकार करता है और आज की तिथि से संपत्ति का स्वामित्व एवं अध्यासन प्राप्त कर लिया।
जिसके साक्ष्य स्वरूप उभयपक्ष उपस्थित साक्षीगण के समक्ष स्वतंत्र सम्मति से प्रसन्नतापूर्वक अपने हस्ताक्षर बनातेहै तथा साक्षीगण उभयपक्षों के समक्ष हस्ताक्षर बनाते है।
विवरण संपत्ति जो ‘‘दाता’’ द्वारा ‘‘आदाता’’ को दान में दी गई है-
एक भूखण्ड क्षेत्रफल.........आराजी संख्या.....स्थित ग्राम..........पोस्ट......तहसील....जिला..... जिसकी चौहद्दी निम्नवत है-
पूरबः
पश्चिमः
उत्तरः
दक्षिण
हस्ताक्षर दाता
साक्षी संख्या 1..........
हस्ताक्षर आदाता
साक्षी संख्या 2..........
8. विभाजन-विलेख (Partition Deed)
विभाजन का यह विलेख आज दिनांक...........माह........सन्.............को श्री...........पुत्र श्री..... निवासी ग्राम.............पोस्ट............जिला.....जिसे एतद्पश्चात् ‘‘प्रथम पक्ष’’ शब्द से संबोधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री........निवासी ग्राम..........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘द्वितीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री........निवासी ग्राम..........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘तृतीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोधित किया गया है।
विदित हो कि ‘‘प्रथम पक्ष’’, ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं ‘‘तृतीय पक्ष’’ संपत्तियाँ जो इस विलेख के अन्त में सूची अ, ब एवं स में वर्णित हैं, के संयुक्त स्वामी हैं और उनमें तीनों पक्षों का 1/3, 1/3 अंश का स्वामित्व है। चूँकि उक्त संपत्तियों का संयुक्त प्रबन्ध करने में तीनों पक्षों को अत्यधिक कठिनाई हो रही है और प्रत्येक पक्ष अपनी इच्छानुसार संपत्तियों का उपयोग एवं उपभोग नहीं कर पा रहा हैं, अतः प्रत्येक पक्ष संपत्तियों का विभाजन अपने स्वत्व के अंश के अनुसार कर लेना चाहता है।
तदनुसार यह विलेख साक्षी है कि-
1. यह कि इस विलेख की सूची अ, ब एवं स में वर्णित संपत्तियों का आज विभाजन निम्नवत् किया जाता हैं।
2. यह कि सूची ‘‘अ’’ का मकान जमीन के साथ दो खण्डों में सुविधापूर्वक विभाजित होने योग्य है अतः इसे लम्बवान में बराबर-बराबर दो अंशों में, इस प्रकार विभाजित किया जाता है कि आधा पूर्वी भाग ‘‘प्रथम पक्ष’’ को प्राप्त होता है और आधा पश्चिमी भाग ‘‘द्वितीय पक्ष’’ को प्राप्त होता है। इस सूची की संपत्ति के विभाजित भागों से आवंटित पक्ष के अतिरिक्त शेष पक्ष का किसी प्रकार का स्वत्व या हित नहीं रहेगा। इस संपत्ति में ‘‘तृतीय पक्ष’’ को प्राप्त होने योग्य अंश को सूची ‘‘ब’’ के मकान में समायोजित किया जायेगा।
3. यह कि ‘‘तृतीय पक्ष’’ को सूची ‘‘ब’’ का मकान तनहा स्वामित्व में दिया जाता है। यह मकान छोटा है और इसका अन्य प्रकार से विभाजन करना असुविधाजनक होगा।
4. यह कि सूची ‘‘स’’ का मकान इस प्रकार विभाजित किया जाता है कि चूँकि मकान अंतर्गत सूची ‘‘अ’’ एवं ‘‘ब’’ में ‘‘प्रथम पक्ष’’, ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं ‘‘तृतीय पक्ष’’ को अपने अंशों के बराबर संपत्तियों उपरोक्त ढंग से प्राप्त हो चुकी हैं इसलिए सूची ‘‘स’’ के मकान का लम्बान में 1/3, 1/3, 1/3 भाग किया जाता है। 1/3 पूर्वी भाग ‘‘प्रथम पक्ष’’ को, 1/3 मध्य भाग ‘‘द्वितीय पक्ष’’ को एवं 1/3 पश्चिमी भाग ‘‘तृतीय पक्ष’’ को प्राप्त होता है।
5. यह कि इस विभाजन विलेख की बाध्यता तीनों पक्षों के उत्तराधिकारियों/विधिक प्रतिनिधियों पर समान रूप् से होगी। विभाजन विलेख के माध्यम से यह निश्चित एवं घोषित किया जाता है कि हर पक्ष संपत्तियों के उस भाग का जो उसे विभाजन में मिला है, पूर्ण स्वामी होगा तथा अन्य पक्षों से उस अंश से कोई सम्बन्ध या किसी प्रकार का हित नहीं होगा।
जिसके साक्ष्य में सभी पक्षों ने प्रासन्नतापूर्वक बिना बाहरी दबाव के साक्षीगण की उपस्थिति में अपने-अपने हस्ताक्षर निम्नवत् किये-
सूची ‘‘अ’’ः एक मकान मय सहन जो पूरब-पश्चिम लम्बान में स्थित, ग्राम.........पोस्ट.........जिला........अन्तर्गत अधोवर्णित चौहद्दी जिसका 1/2 पूर्वी भाग ‘‘प्रथम पक्ष’’ एवं 1/2 पश्चिमी भाग ‘‘द्वितीय पक्ष’’ को मिला हैः
पूरबः........... पश्चिमः...........
उत्तरः........... दक्षिणः...........
सूची ‘‘ब’’ः मकान स्थित, ग्राम.........पोस्ट.........जिला........को ‘‘तुतीय पक्ष’’ को अकेले प्राप्त हुआ अंतर्गत चौहद्दी-
पूरबः........... पश्चिमः...........
उत्तरः........... दक्षिणः...........
सूची ‘‘स’’ः मकान को पूरब-पश्चिम लम्बाई मे हैं अंतर्गत अधोवर्णित चौहद्दी स्थित ग्राम.........पोस्ट.........जिला........ जिसका 1/3 पूर्वी भाग ‘‘प्रथम पक्ष’’ एवं 1/3मध्यभाग ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं 1/3 पश्चिमी भाग ‘‘तृतीय पक्ष’’ को प्राप्त हुआ हैः
पूरबः........... पश्चिमः...........
उत्तरः........... दक्षिणः...........
हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
हस्ताक्षर द्वितीय पक्ष
हस्ताक्षर तृतीय पक्ष
साक्षी संख्या- 1.
साक्षी संख्या-2.
9. पारिवारिक समझौता (Family Settlement Deed)
हमकि..........पुत्रश्री........निवासी ग्राम........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् प्रथम पक्ष शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री........निवासी ग्राम..........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘द्वितीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री........निवासी ग्राम..........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘तृतीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है, संयुक्त हिन्दू परिवार के सदस्यगण है।
विदित हो कि संयुक्त हिन्दू परिवार के लिए संपत्तियाँ विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं जिसका प्रबन्धनकर्ता के रूप में स्व0 श्री..............पुत्र श्री...............अपने जीवनकाल के दौरान करते चले आये परंतु उनकी मृत्यु के उपरांत ¬प्रबन्धक और उत्तराधिकारी को लेकर विवाद विद्यमान था जिसे शुभचिन्तकों के हस्तक्षेप से सुलझाया गया। हम पक्षकार पारिवारिक समझौता उक्त संपत्तियों के स्वामित्व एवं नियंत्रण को लेकर कर लिये है। यह उचित समझा गया कि समझौते को शब्दों में अंकित कर लिया जाय।
अतएव यह विलेख साक्षी है कि संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्तियों का विभाजन हो गया है और उसका अस्तित्व समाप्त हो चुका है जिसे निम्नवत् वर्णित किया जाता है-
1. यह कि संयुक्त हिन्दू परिवार के कर्ता स्व0 श्री................का प्रथम पक्ष पुत्र, द्वितीय पक्ष पौत्र एवं तृतीय पक्ष विधवा है। तदनुसार तीनों पक्षों को संयुक्त हिन्दू परिवार में 1/3, 1/3, 1/3 अंश प्राप्त हुआ है।
2. यह कि अंश के मूल्यांकन के आधार पर मकान व जमीन स्थित ग्राम..........पोस्ट...........जिला......‘‘प्रथम पक्ष’’ को प्राप्त हुआ जिससे ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं ‘‘तृतीय पक्ष’’ से कोई हितया सम्बन्ध नहीं रह गया है।
3. यह कि अंश के मूल्यांकन के आधार पर मकान व जमीन स्थित........ग्राम...............पोस्ट......... जिला.......‘‘द्वितीय पक्ष’’ को प्राप्त हुआ जिससे ‘‘प्रथम पक्ष’’ एवं ‘‘द्वितीय पक्ष’’ से कोई हित या सम्बन्ध नहीं रह गया है।
4. यह कि यह कि अंश मूल्यांकन के आधार पर मकान व जमीन स्थित ग्राम..........पोस्ट.........जिला...‘‘तृतीय पक्ष’’ को प्राप्त हुआ जिससे ‘‘प्रथम पक्ष’’ एवं ‘‘द्वित्ीय पक्ष’’ से कोई हित या सम्बन्ध नही रह गया है।
5. यह कि तृतीय पक्ष की मृत्यु के उपरांत उसकी अवशेष संपत्ति प्रथम एवं द्वितीय पक्ष को आधा-आधा अंश में प्राप्त होगी।
अतः साक्ष्यस्वरूप आज दिनांक..............माह................सन्.............को समझौते के सहायक साक्षीगण की उपस्थिति में भविष्य की किसी प्रतिकूल संभावना की समाप्ति हेतु तीनों पक्षों ने अपने हस्ताक्षर निम्नवत् बनाये।
हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
हस्ताक्षर द्वितीय पक्ष
हस्ताक्षर तृतीय पक्ष
साक्षी गण
1. ...............
2. ...............
10. गोदनामा/दत्तक ग्रहण विलेख (Adoption Deed)
गोदनामा का यह विलेख आज दिनांक..............माह........सन्..........को श्री........पुत्र श्री.........निवासी ग्राम........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् प्रथम पक्ष शब्द से सम्बोंधित किया गया है।
एवं
श्री.........पुत्रश्री........निवासी ग्राम..........पोस्ट..........जिला........ जिसे एतद्पश्चात् ‘‘द्वितीय पक्ष’’ शब्द से सम्बोंधित किया गया है, के मध्य निष्पादित किया जाता है।
विदित हो कि ‘‘प्रथम पक्ष’’ हिन्दू धर्म के अनुयायी है और उसे अपनी पत्नी से कोई पुत्र या पौत्र नहीं है। ‘‘प्रथम पक्ष’’ की आयु भी अधिक हो चुुकी है और उसने दूसरी शादी पर कभी विचार नहीं किया। इस प्रकार प्रथम पक्ष को अपना कोई पुत्र होने की संभावना समाप्त हो गई है एवं चूँकि हिन्दू धर्म के अनुसार दाह संस्कार करने, पिण्डदान करने, वंश चलाने के लिए किसी सन्तान का होना अति आवश्यक है एवं चूँकि ‘‘प्रथम पक्ष’’ की पत्नी श्रीमती..............भी इस बात के लिए सहमत है कि ‘‘प्रथम पक्ष’’ कोई लड़का गोद ले लेवें।
चूँकि ‘‘द्वितीय पक्ष’’ भी हिन्दू धर्म का अनुयायी है और उसके दो अवयस्क पुत्र हे इसलिए ‘‘प्रथम पक्ष’’ ने ‘‘द्वितीय पक्ष’’ से आग्रह किया कि वह अपने कनिष्ठ अवयस्क पुत्र को ‘‘प्रथम पक्ष’’ को गोद दे देवे तथा ‘‘द्वितीय पक्ष’’ की धर्मपत्नी श्रीमती....................भी द्वितीय पक्ष के साथ अपे कनिष्ठ अव्यस्क पुत्र को प्रथम पक्ष को दत्तक ग्रहण हेतु देने को तैयार हैं जिसके लिए ‘‘द्वितीय पक्ष’’ एवं उनकी धर्म पत्नी ने स्वीकृति दे दी है। विदित हो कि ‘‘द्वितीय पक्ष’’ का कनिष्ठ अव्यस्क पुत्र 15 वर्ष से कम है और उसका विवाह नहीं हुआ है और न ही कहीं अन्यत्र दत्तक ग्रहण हुआ है। अतः यह विलेख साक्षी है किः
अतएव यह विलेख साक्षी है कि संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्तियों का विभाजन हो गया है और उसका अस्तित्व समाप्त हो चुका है जिसे निम्नवत् वर्णित किया जाता है-
1. यह कि ‘‘प्रथम पक्ष’’ ने अपनी पत्नी श्रीमती.............की सहमति एवं स्वीकृति से ‘‘द्वितीय पक्ष’’ की उनकी धर्मपत्नी....................की परस्पर समझौते एवं स्वीकृति से उनके कनिष्ठ अव्यस्क पुत्र श्री..........को हिन्दू धर्म तथा बिरादरी के रस्मोरिवाज के अनुसार आज गोद ले लिया।
2. यह कि ‘‘द्वितीय पक्ष’’ ने अपनी पत्नी श्रीमती...............की सहमति एवं स्वीकृति से अपने कनिष्ठ अव्यस्क पुत्र श्री..................को अपने गोद में लेकर ‘‘प्रथम पक्ष’’ को गोद में दे दिया जिसे ‘‘प्रथम पक्ष’’ ने अपनी पत्नी की सहमति एवं स्वीकृति से प्रसन्नतापूर्वक गोद में ले लिया।
3. यह कि आज की तिथि से ‘‘द्वितीय पक्ष’’ का कनिष्ठ अव्यस्क पुत्र श्री............दत्तक ग्रहण सम्पन्न हो जाने के कारण और पश्चात् प्रथम पक्ष का दत्तक पुत्र और ‘‘प्रथम पक्ष’’ के परिवार का सदस्य हो गया तथा ‘‘द्वितीय पक्ष’’ के परिवार से उसका कोई संबध सदस्य के रूप में नहीं रह गया जिसके साक्ष्य स्वरूप साक्षीगण की उपस्थिति में उभयपक्षों बिना बाहरी दबाव के अपनी स्वतंत्र इच्छा से यह दत्तक ग्रहण विलेख निष्पादित एवं हस्ताक्षरित किया।
हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
हस्ताक्षर द्वितीय पक्ष
साक्षी संख्या 1...............
साक्षी सख्या 2...............
Fabulous🔥🔥
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