मुक्तिबोध : बहुत दिनों से
मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य बहुपठित एवं बहुचर्चित हैं ,आपने अपनी कविता के माध्यम से जीवन जगत की वास्तविकता को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने कार्य किया है . मुक्तिबोध एक नये के प्रकार संवेदन के कवि के रूप में जाने जाते हैं . विरोध से विद्रोह तक का स्वर हम मुक्तिबोध की कविताओं में देख सकते हैं . बहुत दिनों से कविता के माध्यम से एक नए तरह को प्रस्तुत किया है . भाव ,भाषा और भंगिमा सभी दृष्टियों से यह कविता विशिष्ट है .
मैं बहुत दिनों से बहुत दिनों से
बहुत-बहुत-सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना
और कि साथ-साथ यों साथ-साथ
फिर बहना बहना बहना
मेघों की आवाजों से
कुहरे की भाषाओं से
रंगों के उद्भासों से ज्यों नभ का कोना-कोना
है बोल रहा धरती से
जी खोल रहा धरती से
त्यों चाह रहा कहना
उपमा संकेतों से
रूपक से, मौन प्रतीकों से
............
मैं बहुत दिनों से बहुत-बहुत-सी बातें
तुमसे चाह रहा था कहना
जैसे मैदानों को आसमान ,
कुहरे की ,मेघों की भाषा त्याग
विचारा आसमान कुछ
रूप बदलकर रंग बदलकर कहे .
वाह क्या बात है👌💐
ReplyDeleteThank You soo much
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता है।
ReplyDeleteऔर मेरे लिए मुक्तिबोध की
ये नई कविता है।