कथा अनुवाद
साहित्य का हमारे समाज और संस्कृति से गहरा जुड़ाव होता है। कथा साहित्य में समाज और संस्कृति का प्रतिबिम्बन हमारे साहित्य में देखने को मिलता है। कथा साहित्य में समाज का व्यापक चित्र. प्रस्तुत करते हुए कथाकार समाज के विविध रीति-रिवाजों और परम्पराओं का भी अंकन सहज ही हो जाता है। कथा-साहित्य का अनुवाद करते हुए अनुवादक को स्रोत भाषा और लक्ष्य दोनों के समाज , संस्कृति और जनता की चित्तवृतियों का विशेष ध्यान रखना होता है। किसी भी रचनाकार के साहित्यिक परम्परा को भलीभांति जाने समझे बिना हम उसकी रचनाओं के मर्म को नही समझ सकते और अगर हम रचना के मर्म को नहीं समझ सकेंगे तो उसका अनुवाद प्रभावी नहीं होगा। कथा साहित्य में व्यापक जीवन की अभिव्यक्ति होती है। इसीलिए कथा साहित्य का अनुवाद अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। समाज , संस्कृति , परिवेश और सामाजिक क्रियाओं- प्रतिक्रियाओं के सूक्ष्म अन्वेषण की आवश्याकता कथा-अनुवाद में होती हैं अनुवादक का उत्तरदायित्व साहित्यकार से अधिक चुनौतीपूर्ण और व्यापक होता है। अनुवाद के लिए भाषाओं का सूक्ष्म अध्ययन तो अपेक्षित है ही साथ ही साथ रचनाकार के रूचि-अभिरूचि का भी ध्य...