केवल काका हर शहर ,हर कस्बे और सबके बचपन में होंगे।
केवल काका ,जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक के हमारे जीवन में बचपना का समान देकर असीम खुशी का संचार करते रहे। कभी मसलपट्टी ,तो कभी आरेन्ज बर्फ,तो कभी गाजर ,खीरा और अब मूंगफली । बदलाव तो इन्हें छूकर भी नहीं गया,ठीक वैसी ही जिन्दादिली और उत्साह। जमाने में बहुत कुछ बदला लेकिन आज केवल काका से मिलकर अपना बचपन और बचपने की बहुत सी यादें जीवन्त हो गयीं ।
बहुत ही सुन्दर और प्रशंसनीय प्रस्तुति । ������मानना पड़ेगा की आपकी सारी रचनाएँ बेहद प्रभावशाली और खुबसूरत होती है ।��
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteThank you
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