मृदंग के संगीत पर जीवन के अभिनव राग का आख्यान : रसप्रिया
‘ फणीश्वर नाथ रेणु ’ की ख्याति हिन्दी के आंचलिक कथाकार के रूप में है । रेणु के कथा साहित्य में लोक जीवन सरसता और सहजता सर्वत्र देखने को मिलती है । मैला आँचल इनके द्वारा रचित बहुचर्चित आंचलिक उपन्यास है, जिसमें कथाकार ने अंचल को नायक बनाकर अपने कथा के तानबाने की संश्लिष्ट बुनावट हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है । मैला आँचल के साथ ही साथ ‘ तीसरी कसम ’ उर्फ़ ‘मारे गये गुल्फाम’ इनकी चर्चित कहानी है। इन दोनों पर कृत्तियों पर फ़िल्में भी बन चुकीं हैं और इसके आधार पर इन्हें ख्याति भी खूब मिली । इसके अलावा इनके कथा-साहित्य में लोक का चटक रंग और राग देखने को मिलता है । लोक के अभिनव राग की दृष्टि से आपकी रसप्रिया कहानी अपने आप में विशिष्ट है, इस कहानी की मूल विषय-वस्तु तो मिरदंगिया और रामपतिया की प्रेमकथा है लेकिन कहानीकार ने इसके माध्यम से लोक जीवन के गीत-संगीत की सुदृढ़ परम्परा को हमारे समक्ष प्रस्तुत कर मिथिलानंचल के परिवेश को जीवन्त कर दिया है । लोक गायन,वादन और नर्तन की परम्परा के साथ जीवन में उसकी उपयोगिता के अंकन की दृष्टि से यह कहानी महत्वपूर्ण है । संगीत हमारे मनोतंत्रियों को सुलझाता...